व्यस्तता
व्यस्तता
अजी अपने ही आलम में मगन सब लोग रहते हैं।
बहुत हैं व्यस्त जीवन में यही सब लोग कहते हैं।
नहीं फुर्सत किसी को भी यहां मिलने मिलाने की-
न सुख दुःख की करें बातें न दो पल साथ रहते हैं।
महीनों हो नहीं पातीं किसी से बात भी अब तो।
नहीं रहते हमारे साथ रहकर साथ भी अब तो।
बहुत मसरूफ़ियत है ज़िन्दगी में हाय लोगों के-
सिमटते जा रहे हैं लोग के ज़ज्बात भी अब तो।
पराए बन रहे अपने हुए अपने पराए हैं।
सगे रिश्तों से ज्यादा ग़ैर ने रिश्ते निभाए हैं।
सहारे बन रहे ग़म के बढ़ाते हर घड़ी हिम्मत-
दिए खुशियों के जीवन में परायों ने जलाए हैं।