Rashminder Dilawari

Abstract Romance Tragedy

4.5  

Rashminder Dilawari

Abstract Romance Tragedy

याद

याद

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आज फिर आँखों में नमी है, 

आज फिर तुम्हारी कमी है

दिल में समेटे तुम्हारी याद

आज फिर मुद्दत के बाद 

पहुँचा वहीं जहाँ होता था मिलना हमारा

खुला आकाश, वृक्ष और झील का किनारा


ना जाने कितने उमड़ते थे जज़्बात

जब थामा करती थी तुम मेरा हाथ

देखती थी जब तुम मुझको प्यार से

जीत जाता था मैं अपना सब कुछ हार के


छेड़ती थी तुम जब तराने दिल के 

बन जाते थे नज़ारे गवाह महफ़िल के

बात करते करते जब तुम मुस्कुराती

एक मधुर तान चारों और बज जाती


देखा था हमने खाते सेवइयां

नाव चलाते हुए एक गाता खिवैया

नाव में बैठ के जब भर्ती थी आहें

झील भी करती थी स्वागत खोल के बाहें


बैठ जब पेड़ से जब लगाती थी टेक

पत्ते भी बरस दुआएं देते थे नेक

तुम्हारी उपस्थिति करती थी सबको निहाल 

तुम्हें गुज़रे अब बीत गए कई साल


आज उस जगह पे छायी एक मायूसी है

उदास है वातावरण पक्षियों में ख़ामोशी है

शायद अब ना महके फिर से वो आलम दुबारा 

पहुँचा वहीं जहाँ होता था मिलना हमारा

खुला आकाश, वृक्ष और झील का किनारा



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