STORYMIRROR

Baba Baidyanath Jha

Classics

2  

Baba Baidyanath Jha

Classics

"वसुधैव कुटुंबकम्"--बाबा

"वसुधैव कुटुंबकम्"--बाबा

1 min
316

    


वैसे तो जगते सदा, मन में भाव अनन्त।

पर वसुधैव कुटुम्बकम्,जो माने वह सन्त।।


जो माने वह सन्त,वही है असली मानव।

रखता है जो भेद,समझ ले है वह दानव।।


करते हैं व्यवहार,स्वजन से हमसब जैसे।

यह जग है परिवार,हमारा भी तो वैसे।।





Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics