"वसुधैव कुटुंबकम्"--बाबा
"वसुधैव कुटुंबकम्"--बाबा
वैसे तो जगते सदा, मन में भाव अनन्त।
पर वसुधैव कुटुम्बकम्,जो माने वह सन्त।।
जो माने वह सन्त,वही है असली मानव।
रखता है जो भेद,समझ ले है वह दानव।।
करते हैं व्यवहार,स्वजन से हमसब जैसे।
यह जग है परिवार,हमारा भी तो वैसे।।
