Baba Baidyanath Jha
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करता है जीवन सदा, मुझसे नित्य फरेब।
लाख कमाता हूँ मगर, फटी हुई है जेब।।
फटी हुई है जेब, रहे जो हरदम खाली।
घरवाले हैरान, दुखी रहती घरवाली।।
पापी भूखा पेट, नहीं यह कथमपि भरता।
जिसके पीछे लोग, हमेशा भागा करता।।
कविताएँ
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