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Baba Baidyanath Jha

Abstract

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Baba Baidyanath Jha

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कठपुतलियाँ

कठपुतलियाँ

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रहता है वह सूत्र जो, सूत्रधार के हाथ

चलती हैं कठपुतलियाँ, फिर उसके ही साथ


फिर उसके ही साथ, जगत भी वैसे चलता

पा प्रभु का संकेत, एक पत्ता भी हिलता 

 

सुख-दुख हैं प्रारब्ध, जिसे हर प्राणी सहता

सचमुच प्राणी मात्र, भाग्य पर निर्भर रहता।


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