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Puja Guru

Abstract

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Puja Guru

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"वस्त्र भी तो अस्त्र है "

"वस्त्र भी तो अस्त्र है "

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वस्त्र भी तो अस्त्र है

फहर उठे तो जीत

उतर जाए तो जंग है

रंगत जो बदल दे तो धर्म भी अधर्म है

ठहर जाए तो आबरु

बिखर जाए जो निकृष्ट है

श्रृंगार से इसके ही तो कुछ विशिष्ट है


वस्त्र कहा पारदर्शी

तभी तो शैतान भी महार्षि

गेरुआ वस्त्र ओढ़

सच-झूठ समावेश है

क्लेश है

इसी वस्त्र-ए-विभन्नता पर क्लेश है

वस्त्र भी तो छल है

रूढ़िवादिता का स्थल है

किसी की फटी है चादरें

तो किसी के पांव मखमल है

वस्त्र भी तो अस्त्र है...


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