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Puja Guru

Inspirational

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Puja Guru

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तुम्हें कम पढ़ाना था

तुम्हें कम पढ़ाना था

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तुम्हें कम पढ़ाना था...ध्यान ही ना रहा...


बाहर तू आज़ादी चख आएगी...

फिर बांधना मुश्किल होगा तुम्हें...

हर बार तू आवाज़ उठाएगी...

मौन थी जो पहले...

अब चीख चिल्लायेगी...


तुम्हें कम पढ़ाना था...ध्यान ही ना रहा...

बराबरी अपने आंगन मे नही...

वाह-वाही जरुर करते हम...

उनकी जो आसमान छू आती हैं...

लेकिन वो आसमान अपने आंगन नही...

किताबों की बातें पढ़ -लिख रूक जाना...

उसे घर ना लाना ...

यहां का हिसाब कुछ और है...

यहां कि किताब कुछ और है...


तुम्हें कम पढ़ाना था...

ध्यान ही ना रहा तू सवाल पूछेगी ...

हम जैसे हर बात पे उबलते..

वैसे ही उबल..तू बवाल सींचेंगी...

सहन शक्ति तो खत्म हो जाएगी तेरी....

तू ढीठ सी जिद्दी हो बैठेगी..

हम फिर भी संस्कार याद दिलाऐंगें...

तेरी चाबी ढूंढ ...तूझ पर लगाएंगे...

हम तेरे पंखों का हिसाब ..

अपने हाथ ले आएंगे...


तुम्हें कम पढ़ाना था...ध्यान ही ना रहा...



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