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Puja Guru

Abstract

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Puja Guru

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सोचो अगर तुम होते

सोचो अगर तुम होते

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उन अनंत राह चलते मजदूरों में

पैरों में छालें पड़ें हैं जिनके

बंजर आँखों मेंउम्मीद मृत्य है जिनकी

बोझ लिए गरीब होने का

सुलग रहे जो देश के हर कोने में


सोचो अगर तुम होते

उन बिलखती चीत्कारों में

भूखे उन पेट में

लाठियां खाए उस तन में

रेल पटरियां पड़ी रोटी में


सोचो एक बार अगर तुम होते

बीच सड़क जनी औलादों में

परिवार बचाने फौलदों में

बेघरों के ठेलों में

अमीरों की सड़क चलेगरीबों के मेले में


सोचो अगर तुम होते

उस चिठ्ठी मेंचोरी की माफ़ी है जिसमे

टूटे उस चपल मेंमीलों चल घिस गया जो

मौन उन लोगों में

सुन्न हो गए जो


सोचो अगर तुम होते

क्या पूछते नहीं तुम

भूखे पेट जो लाठियां खाते

हवाई जहाज़ के ज़माने में

मीलों चलाए जातें

गरीबी एक जुर्म है

 जब हर मोड़ तुम्हे बतलाता


क्या पूछते नहीं तुम

अगर मजदूरों में पैदा हो जाते

नून रोटी ले जब मौत से लड़ते

हर द्वार और सरकार कहती- "हम तुम्हारे हैं"

लेकिन फिर भी सडकों पे पड़े रहते

और चीख बिलख ही सही

मीलों तुम चलते

सोचो अगर तुम होते।


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