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Shalinee Pankaj

Tragedy Inspirational

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Shalinee Pankaj

Tragedy Inspirational

वृक्ष

वृक्ष

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मैं

मेरे पिता

मेरे दादा जी

मेरे पूर्वज

सभी मनुष्य जाति का

गहरा नाता है

इन वृक्षों से


माँ की तरह नहीं

जननी ही है हमारी

प्राथमिक उपभोक्ता

ये वृक्ष ही तो है

हमसे पहले ये ही तो है

इसलिए माँ कहलाती है

मानव सभ्यता की

बरगद, पीपल, आंवला, आम

सभी को तो पूजते है हम

और बिन तुलसी

घर,घर कहाँ होता है।

दुलारती है,

ठंडी छाँव देती है

शीतल हवा भी तो

इन्ही की वजह से

बहते है


मीठे फल, काष्ठ

औषधि

अनाज

सब ,सब

ये वृक्ष ही तो देते है

परेशानी में

किसी तरु के छाँव

तले बैठ जाओ

माँ के आँचल सी 

सुकून देती है

बालों को सहला

अपने अस्तित्व का

सबूत देती है

मैं हूँ तेरे पास

कितना भी दोहन करो

माँ तो माँ होती है


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