वृक्ष लगाना है जरूरी
वृक्ष लगाना है जरूरी
मानव तू बड़ा गंभीर रहा
फिर प्रकृति का वक्ष क्यों चीर रहा
इसके हाथों में है तेरी जान
अब तो सुधर जाओ इंसान
अब प्राणवायु का संकट है
ना हरे वृक्ष ,ना कंटक है
अब जगह- जगह बन रहेे शमशान
अब तो सुधर जाओ इंसान
अब तड़प रही तेरी सांसे
मुर्दा हो या जिंदा लाशें
कहां मरा पड़ा है तेरा ज्ञान
अब तो सुधर जाओ इंसान
नीर बना दिया निरा जहर
हवा में मंडरा रहा है कहर
तेरी लापरवाही ,तेरा नुकसान
अब तो सुधर जाओ इंसान
इस निर्ममता में बुरा हाल
विकट परिस्थिति, दृश्य विकराल
दम घुटता है अटके हैं प्राण
अब तो सुधर जाओ इंसान
हर और धुएँ का है गुबार
तुझको समझाया बार-बार
वृक्षों का कर लो तुम सम्मान
वृक्ष लगा लो अब इंसान ।
