मुखोटा
मुखोटा
मेरे ह्रदय में आग का उबाल है
नेत्रों में वेदना का ताल है
मुस्कुराता हुआ चेहरा तो केवल
बनावटी मुखोटे का कमाल है
बस जीवन का यही हाल चाल है
श्रृंगार चेहरे की पीड़ा को ढकता है
पर दर्द का घूंट तो गले में अटकता है
इस अटके हुए घूंट से चेहरा लाल है
मस्कुराता हुआ चेहरा तो बस मुखोटे का कमाल है
मेरा शरीर महलों में पलता है
पर मन अंदर से जलता है
आत्मा मन बहलाने वाली बेताल है
दिखावटी चेहरा तो बस मुखोटे का कमाल है
रिश्ते अपनी दास्तान गाते हैं
और अपने अपनों से उलझ जाते हैं
इन नेत्रों में उलझनों का जाल है
चमकता हुआ चेहरा तो बस मुखोटे का कमाल है
परिस्थितियां समक्ष मेरे दिखती है
यह कलम अपनों के पक्ष में लिखती है
कि गम छुपाया हुआ चेहरा ही तेरी ढाल है
बस देखती जा यह सब मुखोटे का ही कमाल है!
