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Dinesh paliwal

Comedy Romance

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Dinesh paliwal

Comedy Romance

वर्क फ्रॉम होम की पत्नी पीड़ा

वर्क फ्रॉम होम की पत्नी पीड़ा

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पत्नी जी बोलीं स्वामी तुमने,

एक साल किया बहुतही आराम,

नाम वर्क फ्रॉम होम का लेते,

पर तुमने किया क्या कुछ भी काम।


जब काम कोई आफिस का आये,

तो नेटवर्क तुम्हारा अवरोधित हैं,

जो में कह दूं कुछ कर दोगे,

तो उस दिन बॉस तुम्हारा क्रोधित हैं,

तुम फूल फूल हुए गुब्बारा,


हम तिनका हुए कर कर के काम,

तुम को ही फला ये काल कॅरोना,

हम तो अब भी खटते सुबहो शाम।


लगते थे दिन वो बहुत सुहाने,

जब तुम आफिस को जाते थे,

बच्चे भी स्कूल थे रहते,

दिन भर नहीं किकियाते थे,

कुछ पल मुझ को भी मिलते थे,


खुद अपने संग बिताने को,

तुम से हट कर अस्तित्व हैं मेरा,

खुद को यह जतलाने को,

इस वर्क फ्रॉम होम की आफत से,

गड़बड़ सी हुई जीवन की कहानी,


कोल्हू के बैल से तुम बन गए राजा,

मैं चंद्रमुखी हुई फुल टाइम नौकरानी।

दुगना मेरा काम हुआ सब,

दुगनी सब जिम्मेदारी,


फरमाइश पूरी कर कर सबकी,

इस नौकरपन से में अब हारी,

वर्क फ्रॉम आफिस ही अच्छा था,

जब हम तुम सुबह बिछड़ते थे,

मैं दिन भर घर की रानी थी,


तुम रण अपना बाहर लड़ते थे,

वो दस घंटो की जो दूरी,

हम तुम हर दिन जो जीते थे,

और सुबह शाम की चाय पे जब,

ताना बाना जीवन का सीते थे,


फिर जल्दी से दिन वो आयें,

बस खत्म ये काल कॅरोना हो,

सब रहें अपने अपने कर्म क्षेत्र ,

खत्म वर्क फ्रॉम होम का रोना हो।


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