वृद्धाश्रम
वृद्धाश्रम
एकल परिवारों में रिश्ते खो गए,
यह आया कैसा आधुनिक जमाना।
यहां कोई नहीं होता किसी का,
बस सबको अंधाधुंध पैसा है कमाना।
देखो समाज की कैसी सोच हो गई,
मां बाप की जिम्मेदारी बोझ हो गई।
घर पर मां-बाप मेहमान हो गए,
वृद्धाश्रम शहर की शान हो गए।
सब रिश्ते बेईमान हो गए,
मां-बाप मेहमान हो गए,
मानो स्टोर रूम में पड़े हुए,
रद्दी का सामान हो गए।
वृद्धाश्रम शहर की शान हो गए।
यदि बेटा सुयोग नहीं,
तो है बुढ़ापे में बोझ।
बेटी तो है पराया धन,
अब तो बदलो यह सोच।
वृद्ध होते घर की शान,
इनसे मिलती हमको पहचान,
शहरों से वृद्ध आश्रम हटाएं,
वृद्धों से स्नेह व आशीष पाएं,
दिल इनका दुखा कर,
कभी मत करना अपमान।
शहरों से वृद्धाश्रम हटाएं ,
वृद्धों से स्नेह व आशीष पाएं
शहरों से वृद्धाश्रम हटाएं ।