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Deepika Mishra

Classics

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Deepika Mishra

Classics

वक़्त का इन्साफ

वक़्त का इन्साफ

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अजीब इत्तेफ़ाक जिंदगी दिखाती है,

एक वक़्त था जब वो

बाप की ऊँगली पकड़ कर

स्कूल जाया करता था।


और आज उन्हीं ऊँगलियों को

पकड़ कर वो उन्हें

वृद्धाश्रम ले जाना चाहता था।


जवानी और बुढ़ापा

एक ही सिक्के के दो पहलू है।

याद रख जो तू आज कर रहा है,

कल तेरे साथ भी दोहराया जाएगा।


याद कर उन कुर्बानियों को,

जो तेरे लिए दी गयी थी।

अब भी वक़्त है, सुधार ले अपनी गलती

वरना बाद में तेरे आँसू पोछने वाला भी

कोई ना रह जाएगा।


ये माँ बाप है ज़िंदगी देते है,

चाहेंगे तो भी बददुआ ना दे पायेगें

पर ऊपरवाला पूरा हिसाब रखता है

उसकी कलम से इससे भी

बढ़कर फ़साने लिखे जायेगें।


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