STORYMIRROR

Deepika Mishra

Abstract

3  

Deepika Mishra

Abstract

एक शहीद की गाथा

एक शहीद की गाथा

1 min
270

आज फिर लुटा है, सुहाग किसी सुहागन का।

आज फिर एक माँ ने अपना बेटा खोया है।


आज फिर झलक आई है एक बहन की आँखे।

और एक बच्चे के सिर से बाप का साया उठा है।


आज फिर छिन गया है बचपन किसी मासूम का।

और आज फिर से सारा देश रोया है।


आज फिर ना लौटा है एक भाई,एक पति,

एक बाप और एक बेटा।

आज फिर एक सैेनिक शहीद हुआ है।


अश्रुपूरित श्रधांजलि देश के शहीद जवानों को,

पूरा देश उन परिवारों के साथ खड़ा है।


शत शत नमन!!! जय हिन्द!!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract