मुसीबत को न्यौता
मुसीबत को न्यौता
क्यूँ हम जानते बूझते हुए अपनी गलतियों को नज़रंदाज़ करते है?
क्यूँ अक्सर हम अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मारने को तैयार रहते है?
जानते है अगर परिणामों की गंभीरता को,
तो क्यूँ ज़िंदगी का सौदा मौत से करने को तैयार रहते है?
खुद को और समाज को बचाए नशे और लालच के ज़हर से,
जो "आ बैल खुद को मार" की भावना को चरितार्थ करते है।
स्वयं को तो नुकसान पहुँचाते ही है,
और अपने साथ पूरे परिवार का भी भविष्य बर्बाद कर देते है।
