अगर साथ हो
अगर साथ हो
एक और मिलकर ग्यारह हो जाते हैं,
अगर साथ हो हिम्मत तो हौंसलें बुलंद हो जाते हैं।
मिलकर हाथ बंटाने की बात ही कुछ और होती है।
बोझ नहीं लगती है ज़िम्मेदारी अगर सोच अच्छी होती है।
एक एक तिनका जोड़कर जैसे आशियाँ बनता है।
कीमत वही करता है अच्छाई की जिसने बुरा वक़्त देखा होता है।
समझदार को एक इशारा ही काफ़ी होता है,
और नासमझ को पोथी पढ़कर सुना दो, वो भी नाकाफ़ी होता है।
सोच खुली और मन साफ़ होना चाहिए।
खुद भी खुशी से जीना चाहिए और औरों को भी जीने देना चाहिए।