पेड़ ही जीवन
पेड़ ही जीवन
पेड़ों से ही तो जीवन है, न जाने हम ये कब समझ पायेगें?
जितनी तेज़ी से काट रहे है उनको, क्या उसके आधे भी लगा पायेगें?
हरा भरा पौधा खुद में संपूर्ण होता है।
पहले फूल, फिर फल और बाद में छाया देता है।
कितने ही पंछियों का घोंसला और आसरा होता है।
कटता है एक पेड़ और कितनों का आशियाँ उजड़ जाता है।
सींचो इसे प्यार से, इसमें जीवन बसता है।
एक नन्हा सा पौधा न जाने कितनों को जिंदगी देता है।
समझो कद्र इनके होने की वरना, एक दिन बहुत पछताओगे।
समय निकल जाने के बाद केवल हाथ मलते रह जाओगे।
