STORYMIRROR

Megha Rathi

Romance

4.5  

Megha Rathi

Romance

वो

वो

1 min
327


वो हर रोज़ मुझे आईना दिखा देता है

मैं बस एक ख्याल हूँ

जता देता है

पूछती हूँ जब भी

बता मैं कितनी हूँ शामिल तुझ में?

वो हँस के मुझसे

नजर चुरा लेता है।

झूठ-मुठ का दिखा कर गुस्सा

मेरे सवालों पर,

रूठ कर मुझसे

मुझे चुप करा देता है।

छोड़ देता है हर बार तन्हा

मुझे मेरे ही साथ

वो अक्सर इस तरह

मेरा साथ छोड़ देता है।

सवालों की सलीब पर सुलगती मैं

वो अपनी खामोशी की तीली से

मुझे जला देता है।

भीड़ में रह कर भी

मैं गुज़र जाती हूँ अक्सर उसके पास से

और वो फिर भी मुझे

मेरे साथ न नजर आता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance