कृष्णा
कृष्णा
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तेरे नाम का इक सहारा बहुत है।
तेरे बिन जहाँ बेसहारा बहुत है।।
जिसे ढूंढता है फकीरा सा दिल ये।
वो कृष्णा सभी का दुलारा बहुत है।।
नज़र जो उठे तो सँवर जाय किस्मत।
तेरी रहमतों का इशारा बहुत है।।
कभी मेरे कूचे चले आना किसना।
निगाहों ने रस्ता बुहारा बहुत है।।
तेरे दर से खाली न जाता है कोई।
मधुसूदना जग से न्यारा बहुत है।।
तू राधा का मोहन तू धुन बांसुरी की।
फ़क़त इश्क़ पाके तू हारा बहुत है।।
मैं जग में अकेला कहूँ खुद को कैसे।
'कन्हैया तुम्हारा सहारा बहुत है'।।
बरसते हैं ' मेघा ' तड़प के जमीं पे।
मुरलिया से जब भी पुकारा बहुत है।।