लड़की कभी बेवकूफ नहीं होती
लड़की कभी बेवकूफ नहीं होती
एक लड़की कभी उतनी बेवकूफ नहीं होती
जितना लोग उसे समझते हैं
वह जानती है निगाहों को पढ़ना
भांप लेती है किसी अपने का बदलना
पर फिर भी चुप रहती है
क्योंकि-
वह रिश्तों को खोना नहीं चाहती
और लोग उसे बेवकूफ मान लेते हैं।
वह उस वक्त भी कमअक्ल नहीं होती
जब वह शिकायत करती है
किसी बात पर नाराज होकर
रूठ जाया करती है
क्योंकि उसने अपने दिल की
पवित्र भावनाओं से एक अधिकार समझा होता है
किसी अपने से लड़ने का,
जब वह अकेली बैठी
अपने उस अधिकार की अवहेलना पर
चुपचाप आंसू बहा रही होती है
वह तब भी बेवकूफ नहीं होती
क्योंकि वह जानती है
प्रेम को दिल में दफन करना।
लड़की से औरत की राह
आसान नहीं होती
हर ओर लीग उसे तमगा पकड़ा देते हैं
उसके बेवकूफ होने का
ये तमगे कभी छल के प्रतीक बनते हैं
तो कभी उसे कमतर बनाने के लिए सजते हैं
वह उन सभी तमगों को स्वीकार करते हुए भी
तब भी इतनी बेवकूफ़ नहीं होती
क्योंकि
वह खुद दर्द सह कर भी
मुस्कान देने का हुनर जानती है।
इसलिए
एक लड़की को कभी वेवकूफ मत समझना
वह सब समझ कर भी
तुम्हारी खुशी के लिए अनजान बनती है।