मिस यू
मिस यू
"मिस करना” किसी की बातों को,
मिस करना किसी के ख्यालों में
होना बार–बार
जो न चाहते हुए भी
दिल के कोनों से झांक कर
बैचेन कर देते हैं।
मिस करना होता है,
किसी अपने करीबी को
जिसके साथ अहसासो की
लंबी उम्र जी होती है।
मिस करना होता है उसे
जिसको नजदीक रखा हो
उतना ही जितना उसने
तुम्हें रखा था।
मिस करना होता है जब
उसकी गैर मौजूदगी में
तुम अपने पसंदीदा लोगों
जगह और काम भी में भी
खुद को तनहा पाओ।
जब शूल उठते हों किसी को
दूर देखकर,
जिसे तुमने अपने जज्बातों के
इत्र की बारिश में
तर ब तर र
खा हो।
और...
एक मिस करना तब भी होता है,
जब तुमने समय रहते
उसकी कीमत नहीं समझी।
पर एक मिस करना
यूं ही भी कह दिया जाता है,
जहां कच्चे धागे से बंधे
मन की डोर असीमित हो
जो दूर घूमती रहती हो,
नजदीकी से परे बस...
जो महज कुछ लफ्जों तक
सिमट कर रह जाती है।
मिस करना.. कच्चे धागे सा ही
कमजोर फीका होता है
पर...
फिर भी कह दिया जाता है।
अगली बार जब तुम कहना किसी को
मिस करना,
तो मन से पूछ लेना,
क्या ये सच में " मिस करना " है
या बस यूं ही सा..
क्योंकि इस "मिस यू" से किसी के
जज़्बात जुड़ जाते हैं
गहराई से।