वो सुनसान सड़क
वो सुनसान सड़क
सुनसान सड़क,
फिर ये काली घटा
तेरी लत और पेड़ की लता।
सन-सन सी आवाज़
सुन-सुन कर तेरी याद आ रही,
और तू मुझसे दूर जा रही?
बारिश का इंतजार कर रहा मैं बेकरार,
आज बिजली भी गरज रही
यह कहकर मेरा दुःख समझ रही
अब बस पानी की बूँद गिर जाए,
मेरी भूख प्यास नहीं
थोड़ा मन बहल जाए।।
थोड़ा मन बहल जाए।।

