STORYMIRROR

Rajeev Kumar

Romance

3  

Rajeev Kumar

Romance

वो सतरंगी पल

वो सतरंगी पल

1 min
146

वो सतरंगी पल

कहीं हो जाए न ओझल

पलकें मूंद लूँ मैं।

दिल में लगा के ताले

साथ बीताए दिन खुशियों वाले

कैद कर लूँ वो दिन चंचल

वो सतरंगी पल

कहीं हो न जाए ओझल

पलकें मूँद लूँ मैं।

कोयल ने छेड़े थे राग बसंती

देखी थी तेरी आशिकपंती

वादों की भी, मिलन की भी

सुहाने थे पल

कहीं आँखों से हो न जाए ओझल

वो सतरंगी पल।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance