वो सतरंगी पल
वो सतरंगी पल


आज भी पलकों में समेटे
रखा है वो बीता कल
तेरी बाहों में तेरी पनाहों में
जीये जो सतरंगी पल|
तेरी दीवानी बनकर मैंने
तुझको मान लिया था खुदा
था वादा छूटे चाहें सब
होगें हम कभी ना जुदा
मुस्कानों की बस्ती थी वो
प्यार भरा संसार था
रूह में आज भी बसा हुआ
ऐसा तेरा प्यार था
बिखरी जुल्फें संवारना
वो मुझ पर खुद को हारना
मेरी आशिकी में बन पागल
चुपके चुपके से निहारना
दुनिया से छुपकर मिलते थे
बेहद मोहब्बत करते थे
स्वप्नों का जहां बनाते थे
बिन बात में मुस्काते थे
वो इश्क की गलिया मनभावन
प्यारा चाहतोंवाला मौसम
मैं तुझमें खुद को समा बैठी
तू भी तो था मुझमें गुम
माना हम पास नहीं है अब
रग रग में यादें बसी हैं सब
ना लौटेगा वो बीता कल
तेरे साथ बिताये सतरंगी पल
उस हर पल को याद कर के
तेरी सलामती की फरियाद कर के
मैं जी लूंगी आने वाला कल
पलकों में रख लो सतरंगी पल|