वो स्कूल के दिन
वो स्कूल के दिन
वो स्कूल के दिन
मस्ती भरे दिन,
जब रह नहीं सकते थे
दोस्तों के बिन।
पढ़ने से ज्यादा खेलना जरूरी लगता था।
गणित के टीचर से तो बहुत ही डर लगता था।
छुट्टी के समय हम सब दोस्त मिलकर आते थे घर।
छुट्टी की घंटी बजते ही हो जाते थे बेफिक्र।
हमारा स्कूल का समय आज सा नहीं था।
फेल हो या पास ज्यादा फर्क पड़ता नहीं था।
इम्तिहानों के दिनों में मास्टर के घर में पढ़ने थे जाते।
यदि पाठ याद नहीं होता तो वही थे सो जाते।
ट्यूशनों का तब मास्टर को पता नहीं था।
वह प्यार का समय था और प्यार हर कहीं था।