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वो सहेलियाँ

वो सहेलियाँ

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मेरे लिए जो पहले प्यार जैसी थी,

वो सहेलियाँ याद आती है जो बहार जैसी थी।


बेनूर हो गई है वक़्त के साथ-साथ,

वो सहेलियाँ जो नववधू के श्रृंगार जैसी थी।


चुप रहती है बहुत कम बोलती है,

वो सहेलियाँ जो पायल की झनकार जैसी थी।


इधर-उधर की बातों में अब दिलचस्पी नहीं लेती,

वो सहेलियाँ जो दैनिक अखबार जैसी थी।


सुना है सुबह जल्दी उठ जाती है अब सब,

वो सहेलियाँ जो आलसी रविवार जैसी थी।


खुद ही मान जाती है अब मनाना नहीं पड़ता,

वो सहेलियाँ जो कभी त्यौहार जैसी थी।


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