कृष्ण - सुदामा
कृष्ण - सुदामा
हे द्वारकाधीश,
अब तक याद हूँ मैं आपको ?
फटे पुराने वस्त्रों में भी
पहचान लिया आपने मुझे !
आप त्रैलोक्य स्वामी,
मैं साधारण मनुष्य,
दिशा बदल लेता है,
भास्कर भी,
आपकी इंगीतो पर !
मुझसे क्या संबंध ऐसा,
जो चरण धो रहे हो मेरे,
अपने अश्रुओं से ?
हे सखा,
परम मित्र हो,
बालसखा हो तुम मेरे !
तुम्हारी दशा देखकर,
मित्रता नहीं की थी तुमसे,
बलदाऊ की भांति,
भ्राता हो तुम मेरे !
चरण जो धो रहा है,
अपने अश्रुओं से तुम्हारे,
द्वारकाधीश नहीं,
आज भी तुम्हारा कन्हैया ही है ।