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kamal Bohara

Horror

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kamal Bohara

Horror

वो रात

वो रात

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वो आहट और सनसन चलती हवा,

जो मैं सोया कुछ ख्वाब लिए सिराने।


वो दरवाजे में किसी की आहट,

वो बाहर किसी के चलने की सनसनाहट।


आज मुझे लगा, कोई है साथ मेरे वो अनजाना

मेरे आंखे खुली की खुली,

कम्बल से सर अपना मैंने ढका।


वो आहट और सनसन चलती हवा,

जो मैं सोया कुछ ख्वाब लिए सिराने।


वो अब छत में जैसे किसी

जानवर के चलने की आवाज,

वो बारिश का दिन और ये फकत आवाज।


मैं नवाजिश करता रहा,

आज बचा ले वो भगवान मुझे 

मैं आहिस्ता आहिस्ता

समेटता रहा खुद को आज।


वो मुस्लसल चलती रही हवाएं,

और बादलों की वो आवाज

ख्वाबों को सिराने लिए मैं

सोया आज था आज।


वो आवाज, वो अंधेरी रात

और उसमें ये बारिश

वो आहट और सनसन चलती हवा,

जो मैं सोया कुछ ख्वाब लिए सिराने।


जो मैं जागा तो धड़कन थी

तेज आज ओ यार।


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