कुछ ख्वाहिशें ऐसी भी
कुछ ख्वाहिशें ऐसी भी


आरज़ू है पकड़ लूं हाथ वो रेशमी,
पढ़ लू झुकती निगाहों से प्यार वो मुक्कदस।
वो दौड़ती निगाहें तुम्हें ही तो ढूंडे,
ये कान बस तुम्हारी ही आवाज को हैं तरसे।
ढूंढते नाम तुम्हारा इन बादलों में,
खोजते बारिश की हर बूंद में तुम्हारा वो चेहरा।
आरज़ू है बांध लुं तुम्हें इस क़दर,
कि जुस्तजु हो और हो जाय दीदार ए जानाँ।।