वो चर्चे बेरोजगारी के
वो चर्चे बेरोजगारी के


बेरोजगारी के चर्चे इस मोहल्ले में बहुत हैं,
बेरोजगारी के किस्से अब चुभते बहुत हैं,
वो सलीके से लोगों का मजाक बनाना
वो प्यार से कांटों भरे शब्द बोलना।
वो क्या कर रहा है आजकल कह के,
काफी नम्रता से जो जहरीले प्रहार करते,
जो खुद परेशान है, बचता फिरता है
और किसी से नहीं, बस कुछ रिशतेदारों से।
कहीं पूछ न ले क्या कर रहा है आजकल
बेरोजगारी के चर्चे इस मोहल्ले में बहुत हैं,
बेरोजगारी के किस्से अब चुभते बहुत हैं।
वो दूर अपनों को देख
मुंह छिपाना,
वो खुद रोना पर किसी और को न दिखना,
वो हंसते चेहरे के साथ सब ठीक चल रहा है कहना,
वो बेफिजूल के सलाह मशवरे, बड़े ध्यान से सुनना।
उनके जाते ही, वो सलाह कुछ कुछ टूटे कांच से लगना
वो प्रोत्साहन कहीं मिलता ही नहीं,
वो प्यार जिंदगी से अब कहीं है ही नहीं।
ऐसे ही कुछ जख्म छुपा के जमाने में आजकल
वो चलता है, वो दौड़ता है पर यकीन मानो वो थकता नहीं।
बेरोजगारी के चर्चे इस मोहल्ले में बहुत हैं,
बेरोजगारी के किस्से अब चुभते बहुत हैं।