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वो अनदेखा चेहरा

वो अनदेखा चेहरा

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नक़ाब हर कोई पहने चले जा रहा है,

कोई खुश तो कोई उदास नजर आता है।


कुछ खुद को ख़ुदा माने बैठे हैं,

कुछ ख़ुदा को अपनी वसीयत माने डटे हैं,

जो मिला नहीं है अभी तक,

वो उसको खोने से भी डरता है।


नक़ाब हर कोई पहने चले जा रहा है,

कोई खुश तो कोई उदास नजर आता है।


कोई नक़ाब में अपना उदास चेहरा

छुपाए बैठा है,

कोई नक़ाब में रावण छुपाये बैठा है,

कहीं उदास चेहरों में जैसे हर रोज़

ख़ुशियों का मेला है,

कहीं रोती आँखों में उमंग और उल्लास

का डेरा है।

और कुछ नहीं ये बस नक़ाब का खेला है।


नक़ाब हर कोई पहने चले जा रहा है,

कोई खुश तो कोई उदास नजर आता है।

 



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