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goutam shaw

Abstract Horror Tragedy

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goutam shaw

Abstract Horror Tragedy

मृत ही एक सच

मृत ही एक सच

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मृत ही एक सचखुश होगा आंधकार भी एक दिन,

होगा एक शाम रौशन भी एक दिन,

तब होगा शमशान जसन भी एक दिन,

पंचताव में विलीन होगा नश्वर शारीर एक दिन।


कुछ एक आँसू, कुछ एक आँखों में होगा,

रात के आंचल में हर सितारा भी रोशन होगा,

कुछ सपना टूटने का सन्नाटा भी होगा,

एक जिवन का परिचय का अंत भी होगा।


बीता वक्त फिर कभी वापस नहीं आया,

हर अच्छा और बुरा अनुभव देता गाय।

हर किसको समझ नहीं पाए,

हर किसको को समझा नहीं पाए।


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