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Shiv kumar Gupta

Romance

4  

Shiv kumar Gupta

Romance

वो परदेशी

वो परदेशी

1 min
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वो परदेशी इस जाने वाले पुराने साल की तरह,

तुम भी गए जो लौट के कभी ना आ पाओगे,

तुम याद बड़ी आओगे जिंदगी भर तुम तड़पाओगे l

आँखों में आंसू लेकर हम तुझको बुलाते रहेंगे,

कभी-ना-कभी इस नए साल की तरह तुम भी आओगे,

आंखें मेरी नम हैं दिल बहुत याद करके रोता है,

वो जाने वाले परदेशी तुमको इस दिल ने रोका है,

मेरी जिन्दगी अब हुई तेरे जाने से अंधकार,

अब तो रहम करना नए साल की तरह तुम एक बार,

आँखों में है अब बेबसी पैरो में अब जकड़न,

बन हंस अब तू आ जा लगा ले मुझे आलिंगन, 

तेरा प्यार खींच रहे मुझको अब मौत भी लगती भली,

सांसे हैं पर जीने के लिए अब तो मेरी जिन्दगी चली, 

धड़कता है दिल केवल तेरे नाम से इसमें अब कोई गति नहीं,

जिंदा हूँ अब औरों के लिए इसमें कोई स्वर नहीं, 

जिन्दगी मेरे रुलाकर मौत से पहले बनकर आना नए साल की तरह,

वो परदेशी इस जाने वाले पुराने साल की तरह, 

तुम भी गये जो लौट के कभी ना आ पाओगे l

वो परदेशी इस जाने वाले पुराने साल की तरह, 

तुम भी गए जो लौट के कभी ना आ पाओगे, 

तुम याद बड़ी आओगे जिंदगी भर तुम तड़पाओगे l



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