वो ख़्वाब हमारा
वो ख़्वाब हमारा
हाथ की लकीरों में, समा चुके हैं वो
रहते हैं हर लम्हा, हमारी दुआओं में,
उनके हमारे पास होने का एहसास,
महसूस होता हमें, बहती हवाओं में,
बस एक ही नाम,वो एक ही तस्वीर,
रहती है सदा, हमारी इन निगाहों में,
जब से बंँध चुका है, ये दिल हमारा,
मोहब्बत की, उन हसीन बेड़ियों में,
उनसे ही ज़िन्दगी का, है हर लम्हा,
वो ख़्वाब हमारा, वो ही ख़्यालों में,
और कोई नहीं इस चाहत दिल की,
बस वो ही इन आखरी तमन्नाओं में,
हर पल अक्स उसी का नज़र आए,
खुद को देखा है, जब भी आईने में,
बात कोई भी हो पर ज़िक्र उसी का,
होता है हर लम्हा, हमारी सदाओं में।