वो जहां है मेरा
वो जहां है मेरा




एक दिन उस शख्स से बात नहीं हुई
तो एक बात समझ आई
वो जहां है मेरा
जिसकी आवाज में मेरा सुकून कैद है
उसकी मौजूदगी
मुझे जिंदा रहने का एहसास कराती
उसके साथ मै ख़ुद से खुद में मिल पाती हूं
मै जैसी हूं वो वैसा स्वीकार करता है
वो मुझे बदल के नहीं
मै जैसे हूं वो वैसे स्वीकार करता है ।