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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Romance

वो दिन दूर नहीं

वो दिन दूर नहीं

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वो दिन दूर नहीं जब एक नटखट परी हमारे घर आएगी ,

एक बार आकर वो सदा के लिए मेरी ही हो जाएगी ।

वो दिन दूर नहीं जब एक शरारती शायरी मेरी लेखनी से अल्फ़ाज बन उतर आएगी ,

मेरो आवाज़ बनकर वो सदा के लिए मेरी धड़कन में ही बस जाएगी ।

वो दिन दूर नहीं जब मेरे सूखी खेतों में भी हरी - भरी फसल लहराएगी, 

मेरे बगीचे में लीली की एक पुष्प नित मुसकुराएगी। 

अपनी मोहिनी महक से वो फिजां को सौरभमय बनाएगी ।

वो दिन दूर नहीं जब आसमां बन एक फरिश्ता मेरी फरियाद सुनने आएगी ,

संग मिलकर साथ वो मेरे आशियां अपनी बसाएगी।

वो दिन दूर नहीं जब मेरे आँगन में भी एक चाँद आएगी ।

वो दिन दूर नहीं जब एक शरारती मेरे लिए अपना सबकुछ छोड़कर आएगी ,

अपनी दिल की बातें करेगी मुझसे ,शरारत करेगी मुझसे और सदा के लिए मेरी ही होकर जाएगी ।


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