वो दिन दूर नहीं
वो दिन दूर नहीं
वो दिन दूर नहीं जब एक नटखट परी हमारे घर आएगी ,
एक बार आकर वो सदा के लिए मेरी ही हो जाएगी ।
वो दिन दूर नहीं जब एक शरारती शायरी मेरी लेखनी से अल्फ़ाज बन उतर आएगी ,
मेरो आवाज़ बनकर वो सदा के लिए मेरी धड़कन में ही बस जाएगी ।
वो दिन दूर नहीं जब मेरे सूखी खेतों में भी हरी - भरी फसल लहराएगी,
मेरे बगीचे में लीली की एक पुष्प नित मुसकुराएगी।
अपनी मोहिनी महक से वो फिजां को सौरभमय बनाएगी ।
वो दिन दूर नहीं जब आसमां बन एक फरिश्ता मेरी फरियाद सुनने आएगी ,
संग मिलकर साथ वो मेरे आशियां अपनी बसाएगी।
वो दिन दूर नहीं जब मेरे आँगन में भी एक चाँद आएगी ।
वो दिन दूर नहीं जब एक शरारती मेरे लिए अपना सबकुछ छोड़कर आएगी ,
अपनी दिल की बातें करेगी मुझसे ,शरारत करेगी मुझसे और सदा के लिए मेरी ही होकर जाएगी ।