वो बीते पल...
वो बीते पल...


ढ़ूंढ़ता रहा हूँ मैं, वो बीते पल।
वो मस्तीयाँ, वो बचपन।
सफर था सुहाना, थी मदहोशियाँ।
ना कोई मंजिल, ना कोई गम।
ढूँढ़ता रहा हूँ मैं...
सासों से बन्धी, थी वो यारियां।
लड़ते-झगड़ते, यूं पड़ होती ना दूरियां।
थे साथ हम, बन हम सफर।
कहां गये वो जाने चमन।
ढूँढ़ता रहा हूँ मैं...
पलके, बिछाए रखा हूँ अपना।
रैनों में, मिलने का आता है सपना।
खफा है अभी भी, वो शायद।
तड़पता है फिर भी, मेरा पागल मन।
ढूँढ़ता रहा हूँ मैं...