Gautam Govind
Tragedy Inspirational Others
इक बात आती है, अक्सर मेरे ज़हन में।
थक गया सोचकर अब, कि लोग क्या कहेंगे।
जी चाहता है एक बार, देखने को कुछ करके।
क्या पता कल देखने को, मैं हीं ना रहूं।
फिर क्या लोग कहेंगे....
लोग क्या कहें...
हमारा देश...
तेरी याद...
चोट खाएं हुए ...
वो बीते पल...
मौत के आगोश म...
कैसे भूला दूं...
देखा है ज़िन्...
बीते हुए कल.....
बनाए रख आत्मब...
यह तेरा चेहरा हसीन, बनेगा तुम्हारी मुसीबत। बचा नहीं सकोगे तुम सच, यह अपनी इज्जत। यह तेरा चेहरा हसीन, बनेगा तुम्हारी मुसीबत। बचा नहीं सकोगे तुम सच, यह अपनी इज्...
धरा-गगन का भेद मिटा है चांद छुपा बादल की छांव धरा-गगन का भेद मिटा है चांद छुपा बादल की छांव
पुकार हमारी भी जरा सुन लो है समय सम्भलो। पुकार हमारी भी जरा सुन लो है समय सम्भलो।
पल पल बीत रहा मेरा क्षण-क्षण बीत रहा। पल पल बीत रहा मेरा क्षण-क्षण बीत रहा।
ग़म नहीं गर तूने न साथ दिया ग़म नहीं तुझ पर विश्वास किया। ग़म नहीं गर तूने न साथ दिया ग़म नहीं तुझ पर विश्वास किया।
आज की कड़वी सच्चाईयो ने छल्ली कर दिया मेरा सीना। आज की कड़वी सच्चाईयो ने छल्ली कर दिया मेरा सीना।
प्रयासों से हम गरीबी को दूर भगायेंगे ,थोड़ा सब अपने हिस्से का गरीब को देते जायेंगे।। प्रयासों से हम गरीबी को दूर भगायेंगे ,थोड़ा सब अपने हिस्से का गरीब को देते जायें...
और तस्वीरें तेरी, किसी संदूक के कोनों में पड़ी रह गयीं। और तस्वीरें तेरी, किसी संदूक के कोनों में पड़ी रह गयीं।
मेरे घर के इतराफ़ एक भौंडी सी रात मुँह चढ़ाए हुए बैठी है। मेरे घर के इतराफ़ एक भौंडी सी रात मुँह चढ़ाए हुए बैठी है।
मां तुम बहुत याद आती हो। मां तुम बहुत याद आती हो।
सपनों में भी कभी हाथ छूटने का भ्रम तक न हुआ सपनों में भी कभी हाथ छूटने का भ्रम तक न हुआ
सबसे ज्यादा मजबूर हमारा मजदूर। जो कभी था भारत का निर्माता। सबसे ज्यादा मजबूर हमारा मजदूर। जो कभी था भारत का निर्माता।
पढ़ने निकला तो गांव छूट गया कमाने निकला तो घर छूट गया। पढ़ने निकला तो गांव छूट गया कमाने निकला तो घर छूट गया।
जीवन में हताशा कभी न कभी आ ही जाती है पर हमें हताशा से बचना ही नहीं बचकर रहना भी है। जीवन में हताशा कभी न कभी आ ही जाती है पर हमें हताशा से बचना ही नहीं बचकर र...
इजाजत दे दी जान तुम्हें शादी की , कोई शिकायतें नहीं करूंगी। इजाजत दे दी जान तुम्हें शादी की , कोई शिकायतें नहीं करूंगी।
अपना जीवनादर्श व्यर्थता की बलिबेदी पर चढ़ाने तक को दुबारा नहीं सोचते...? अपना जीवनादर्श व्यर्थता की बलिबेदी पर चढ़ाने तक को दुबारा नहीं सोचते.....
१४ फरवरी २०१९ पूलवामा सीमा पर, हमारे ४० फौजी भाईयों को मारा था। १४ फरवरी २०१९ पूलवामा सीमा पर, हमारे ४० फौजी भाईयों को मारा था।
दूषित हो गई देखो धरा दूषित हैं जल थल हवा सांस लेना दूभर हो गया। दूषित हो गई देखो धरा दूषित हैं जल थल हवा सांस लेना दूभर हो गया।
मेरी बस यही थी मजबूरी, मैं न चाहता था तुमसे दूरी। मेरी बस यही थी मजबूरी, मैं न चाहता था तुमसे दूरी।
तुमसे मिलने के बाद तुमने जो भी कहा और जो न कहा वो मैं करता रहा। तुमसे मिलने के बाद तुमने जो भी कहा और जो न कहा वो मैं करता रहा।