हर इच्छाओं को दबाते रहे यूं ही अपने मन को समझाते रहे। हर इच्छाओं को दबाते रहे यूं ही अपने मन को समझाते रहे।
थक गया सोचकर अब, कि लोग क्या कहेंगे। थक गया सोचकर अब, कि लोग क्या कहेंगे।
पर मन में हैं एक अजीब सी झिझक कि, “लोग क्या कहेंगे।” पर मन में हैं एक अजीब सी झिझक कि, “लोग क्या कहेंगे।”