सबसे बड़ा रोग: क्या कहेंगे लोग
सबसे बड़ा रोग: क्या कहेंगे लोग
सुबह होते ही,
रेस शुरू हो जाती है,
वो भी कहीं और नहीं,
अपने ही घर में ।
दादा-दादी उठो उठो चिल्लाते
मुझे समझाते
अच्छे बच्चे जल्दी उठ जाते,
अब मुझको लगता है कुछ तो करना ही होगा,
किसी तरह भी सुबह सुबह उठना ही होगा,
अब यही सोच सोचकर बड़ी मुश्किल से आँख खुलती है,
देर तक सोऊंगी तो लोग क्या कहेंगे ।
अब उठ ही गई
तो पहले नहाएगा कौन,
पहले नाश्ता लेगा कौन,
स्कूल के लिए पहले निकलेगा कौन,
सबको सब कुछ एक ही पल भर में करना होता है,
वैसे भी स्कूल के लिए लेट हो गई
तो भई, लोग क्या कहेंगे।
हर रोज़ एकदम इस्त्री वाले कपड़े और
चिकना जूता पहन के निकलते हैं,
अब अगर जूते में थोड़ा सा भी दाग दिख गया,
तो भई, लोग क्या कहेंगे।
स्कूल के बाहर गोल गप्पे वाले को देखकर
हर रोज़ मुंह के पानी को पोछते रहेंगे,
क्यूंकि अगर उतर कर खा लिया
तो भई, थोड़ा तो शर्म करो लोग क्या कहेंगे।
क्रिकेट की मैच की कहां किसको पड़ी होती है
फिर भी हर छक्के पर शोर मचाते हैं
क्यूंकि कोहली को ताली और धवन को गाली नहीं दिया
तो भाई लोग क्या कहेंगे।
इंग्लिश में आज तक सिर्फ सर की डांट पसंद आई,
पर भाई तूने पिछले एक घंटे में इंग्लिश सिटकॉम के हर जोक पर ताली बजाई।
भले ही जोक समझ न आए दूसरों की नकल कर के हंस लेंगे,
जोक क्या हुआ पूछने की चाह तो बहुत है
पर पूछने से पहले सौ बार सोच ले ज़रा, लोग क्या कहेंगे।
हमने हमेशा टिक्का मसाला और रोटी में ही सुख पाया है,
पर आज पापा ने ऑर्डर किया हुआ बर्गर को न चाहते हुए भी उंगलियां चाट कर खाया है।
सच बताऊं,
मन तो पापा का भी बहुत था,
खाने में बटर चिकन और एक्स्ट्रा प्याज़ रखेंगे,
फिर पापा के दिमाग से आवाज़ आई,
घर में मेहमान आए हुए एक बार तो सोच ले
लोग क्या कहेंगे।
आज तक हर मूवी भूखे पेट देखी है,
पर इस बार के.एफ.सी के बकेट के साथ एक लार्ज पेप्सी की बॉटल ले रखी है।
भूख तो इस बार भी नहीं है,
फिर भी एक्स्ट्रा चीज़ डलवाएंगे,
क्यूंकि अब फिकर है कि हर सेकंड हाफ में एक घूंट पेप्सी नहीं ली तो भई लोग क्या कहेंगे ।
आखिर कौन है ये लोग जो हमेशा हमारी
ज़िन्दगी में हर चीज़ पर नज़र रखे हुए हैं,
कौन है ये जो हर चीज़ को
स्टैंडर्ड तरीके से कंपेर करने में लगे हुए है।
सारी उम्र बिता दी हमने
यही सोचते सोचते कि
लोग क्या कहेंगे।
हर इच्छाओं को दबाते रहे
यूं ही अपने मन को समझाते रहे
काम कोई करने से पहले सौ बार सोचते रहे
की लोग क्या कहेंगे।
पर अब समझ आया
कहां समय था किसी के पास
हमारे बारे में सोचने के लिए
हम तो यूं ही परेशान होते रहे
यही सोच सोचकर की
लोग क्या कहेंगे।
हमने तो बहुत सुना,
लोगों ने भी बहुत कहा,
अच्छा कहां, जो बुरा था वही कहा,
थोड़ा रुककर अगर इन लोगों के बारे में जानना चाहोगे,
खुद में थोड़ा झांक कर देखोगे,
तो खुद को भी इन लोगों में से एक पाओगे।