हालात - ए - ज़िन्दगी
हालात - ए - ज़िन्दगी
हालात ऐसे हैं कि
हम कुछ कर नहीं सकते
तड़पते है रोज़ लेकिन
आहें भर नहीं सकते
आंख है भरी भरी
फिर भी मुस्कुराए,
ज़िदंगी खफा खफा
फिर भी दिल लगाए
हम जैसे जी रहे हैं
कोई जी के तो बताए।
ज़माने में भला कैसे
वफाई लोग करते है,
वफा के नाम पे अब तो
शिकायत रोज़ करते है
तकदीर ये हमारी
किस मोड़ पे ले आई,
टूटे है इस तरह दिल
आवाज़ तक ना आई,
जो टूट के ना टूटे
कोई ऐसा दिल दिखाए,
हम जैसे जी रहे हैं
कोई जी के तो बताए।
कभी जो ख़्वाब देखे तो
मिली परछाइयां हम को,
कभी हम सांस होते थे
बना दिया हवा हम को,
हमे महफ़िल की ख्वाहिश थी
मिली तन्हाईयां हम को,
अफसोस,
मेरे दिल ने मुझको भुला दिया है
वफा का ज़िंदगी ने अच्छा सिला दिया है
आग है बूझी बूझी
फिर भी लौ जलाए,
ज़ख्म तो नहीं भरे
फिर भी चोट खाए,
हम जैसे जी रहे हैं।
कोई जी के तो बताए।