वो बीते दिन..
वो बीते दिन..
याद आते हैं, बचपन वाले,
वो प्यारे-प्यारे दिन।
जब पढ़ते और मस्ती करते,
बीत रहे थे पल-छिन।।
संग दोस्तों के कक्षा में,
मिलकर धूम मचाना।
लंच बाक्स से औरों के,
वो चुरा, लंच खा जाना।।
वो टीचर की करना कापी,
और बोर्ड पर चित्र बनाना।
आने की आहट पाकर,
चुप बैठ सीट पर जाना।।
कभी न मन हो पढ़ने का,
तो बहाना कोई बनाना।
और बहाने से फिर बाहर,
आकर खुशी मनाना।।
बोरिंग लेक्चर सुनते-सुनते,
खिचड़ी खेल बनाना।
चोर-वजीर-सिपाही वाली,
पर्ची का था क्या ज़माना।।
सुबह -सुबह जाकर पहली,
उस बेंच पर कब्जा जमाना।
और दोस्तों की भी खातिर,
कापी रख जगह बनाना।।
भूल गए जब किताब कोई,
वो लाइन में खड़े हो जाना।
छीन किताब दोस्तों से,
वो पिटने से खुद को बचाना।।
काम नहीं हो पूरा कभी,
तब बहाना झूठा बताना।
पाकर टीचर की शाबाशी,
वो फूले नहीं समाना।।
काश वो फिर से आएँ,
जीवन में खट्टे-मीठे दिन।
जब न कटता था एक पल,
प्यारे दोस्तों के बिन।।