STORYMIRROR

Shikha Verma

Classics Inspirational

4  

Shikha Verma

Classics Inspirational

आजादी की मिली नियामत

आजादी की मिली नियामत

1 min
236

उन्नीस सौ सैंतालीस सन् में,

आजादी की मिली नियामत।

बड़े जतन से इसे संवारा,

वीरों ने देकर है शहादत।।


अपनी आजादी की कीमत,

भूल न जाना भारत वालों।

सीने पर जो खायीं गोली,

कुछ तो उनका कर्ज चुका लो।।


लहू बहाया देश की खातिर,

रंग दी देश की माटी।

लाश देखकर रो पड़ती थी,

घायल माँ की छाती।।


छिना माँग से जाने कितनी!

ललनाओं से था सिंदूर।

कितनी बहनों की राखी थी,

छिनकर चली गई थी दूर।।


जाति, धर्म या सम्प्रदाय के,

शोलों में मत जलना तुम।

देशभक्ति का एक ही रंग है,

वेष तिरंगा चुनना तुम।।


सरहद के उस पार खड़े जो,

दुश्मन से रहना होशियार।

द्रोही घर के भीतर बैठा

खतरनाक है उसका वार।।


देशभक्ति का जोश एक दिन,

मात्र नहीं एक क्षण का होए।

जन्म-मरण के पार तलक ये,

भाव हृदय में रहो संजोये।।


सोने की चिड़िया कहलाता,

शान्ति स्थली, पावन देश।

मजहब, भाषा, संस्कृतियाँ हैं,

भिन्न-भिन्न हैं सभी प्रदेश।।


राम और अब्दुल कलाम से,

बेटों की है जननी भारत।

लक्ष्मीबाई, और इन्दिरा,

जैसी बेटी का है भारत।।


बापू जी का सपना भारत,

हम सबके सपनों का भारत,

युगों-युगों तक अमर रहेगा,

हम अपनों का अपना भारत।।


लहरा-लहर संगीत सुनाती,

गंगा-यमुना की धाराएँ।

और हिमालय के झोंके भी,

जन-गण-मन का गान सुनाएँ।।


जब तक रहे गगन में सूरज,

सूरज में हो जब तक लाली।

रहे तिरंगा ऊँचा अपना,

बोली गूँजे "जय हिन्द" वाली।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics