वो आखिरी मुलाक़ात
वो आखिरी मुलाक़ात
तेरी फोटो देख आँसू बहाना...
अब तो मेरी दिनचर्या बन गयी,
आजकल जो क्रश कहते हैं ना...
वो भावना तो बचपन से तेरे लिए थी,
तेरा औरों से बातें करना पसंद ना था..
तभी तो बीच में टपक पड़ जबरदस्ती,
ख़ैर वक़्त की बात व वक़्त का तकाज़ा..
बदलते वक़्त में सुनी मैंने हर धड़कन तेरी,
तू पढ़ाई में अव्वल मैं ठहरा निरा आवारा..
गिर पड़कर पास हो जाता चाहत में तेरी,
अब मैं पिताजी की दुकान संभालना था..
आगे की पढ़ाई करने तू विदेश चली गयी,
वो आखिरी मुलाक़ात है जेहन में तरोताज़ा..
आँखों में आँसू तेरे तो आँखें मेरी भी नम थी,
बीतते वक़्त के साथ तेरे घरवालों से जाना..
विदेश क्या गयी तुम शादी कर वही रच बच गयी,
दीवारों पर मुक्के मारे, मदिरा पी व मैं खूब रोया..
फिर सोचा कि मेरे लिए तुम दिल के रास्ते खोल गयी।
