वक्त
वक्त
वक्त से पूछकर ही
मैंने वक्त निकालना छोड़ दिया
जिस तरह आज तूने
मुझे प्यार करना छोड़ दिया
एक वक्त था जब मुलाकात की थी हमने
उस वक्त ने ही आज मुझे धोखा दिया
रात से सुबह होते भी वक्त लगता है
क्यों इस कदर तूने मुझसे मिलना छोड़ दिया
दस्तूर तो ज़िन्दगी का है साथ निभाना
क्या हुआ ऐसा तूने तो मेरा साथ निभाना भी छोड़ दिया
कलम में जब खत्म हो गयी स्याही
उस वक्त से हमने लिखना छोड़ दिया...