STORYMIRROR

Mukesh Bissa

Tragedy

3  

Mukesh Bissa

Tragedy

वक्त नहीं

वक्त नहीं

1 min
214


हर खुशी है लोगों के पास 

 पर हंसने के लिऐ वक़्त नहीं

 रात दिन डूबे इस दौड़ में

 जीवन के लिए वक़्त नहीं


 रिश्तेदार तो है बहुत सारे

 उनके पास बैठने का वक़्त नहीं

 यादें संजोयी कई दिल में

 उनके करीब जाने का वक़्त नहीं


बहुत सी गजलें लिखी हुई 

पर उन्हें सुनाने का वक्त नहीं

परायों से बातें बहुत की

अपनों से मिलने का वक्त नहीं


दिल में दबे अरमान कई

साकार करने का वक्त नहीं

गम पाए हैं वक्त बेवक्त

आंसू निकालने का वक्त नहीं।

 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy