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Preeti Sharma "ASEEM"

Thriller

4  

Preeti Sharma "ASEEM"

Thriller

वक्त की किताब

वक्त की किताब

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वक्त की किताब के,

पन्नों को, 

फिर से बांचना चाहता हूँ।


 मैं आज फिर से,

उन लम्हों में झांकना चाहता हूँ।

 इतना मिला......

और कितना छूट गया।

मैं उस हिसाब को,

फिर से जांचना चाहता हूँ।


वक्त की किताब के,

उन पन्नों को,

फिर से बांचना चाहता हूँ।


खुशियों के लम्हों,

दर्द के लंबे दिनों को,

फिर से अांकना चाहता हूँ।


 किस्मत के हर....

 मजाक को मापना चाहता हूँ।


वक्त की किताब के,

उन पन्नों को,

फिर से बांचना चाहता हूँ।


कहां से शुरू हुआ था।

और खत्म होगा ....कहां तक।

मैं जिंदगी के हर,

मील पत्थर को जांचना चाहता हूँ। 

वक्त की किताब के,

उन पन्नों को,

फिर से बांचना चाहता हूं।


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