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Irfan Alauddin

Inspirational Thriller

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Irfan Alauddin

Inspirational Thriller

मुल्क़ दो हिस्सों में तक़सीम हो

मुल्क़ दो हिस्सों में तक़सीम हो

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मुल्क़ दो हिस्सों में तक़सीम हो चुका है


बुद्धिजीवी ख़ामोश है मंदबुद्धि बोल रहें हैं

और जिन्हें समझ है वो न समझ बन कर बैठे है  

चंद मुट्ठी भर लोगों से बड़ी आबादी को

डराया जा रहा है उन्हें खतरे का एहसास कराया

जा रहा है जब की ऐसा है नहीं


कुछ लोग अपनी सियासत बरकार रखने के लिए

ये सब कुछ कर रहे है  

एक खाई खुद चुकी है दरमियान में 

और अब उस खाई को और बड़ा किया जा रहा है

क्यों की इलेक्शन नज़दीक आ रहा है  

पड़ोसी अब पड़ोसी से डरने लगे है  

बिचकते बिचकते बात करने लगे है  

सलाम आदाब दुआ नमस्कार कहने से

कतराने लगे है  


मैं नहीं जानता आगे क्या होगा लेकिन जो होगा

वो भयानक होगा और तारीख़ के पन्नों में दर्ज होगा


लेकिन हम इस खाई को भर सकते है  

हम नफ़रत को दूर कर सकते है  

हम सब को साथ आना होगा 

अपने प्यारे वतन को बचाना होगा 

नफरती लोगों को भगाना होगा 


सच को सच की तरहा कहना होगा 

और सुनना और सुनाना होगा 

सब कुछ मुमकिन है अगर हम साथ है  

वरना सब के हाथों में ख़ाक है  


हिन्द की मिट्टी हर दौर में कुर्बानी माँगती है  

और हमें क़ुर्बानी देनी होगी हिंद के लिए


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