वक़्त गुज़र गया........
वक़्त गुज़र गया........
वो वक़्त गुज़र गया....
वो वक़्त गुज़र गया....
जिस वक़्त
मैं परेशान थी
बेचैन थी
अपने हालत देख हैरान थी
आंखों में नमी थी
खुशियों की कमी थी
रिश्ते टूट रहे थे
अपने भी साथ छोड़ रहे थे
मंज़िल धुंधली पड़ती जा रही थी
उम्मीद खुद से ही टूट रही थी
कदम लड़खड़ा रहे थे
हौसले भी साथ छोड़ते जा रहे थे
राहों में कठिनाइयां बढ़ती ही जा रही थी
दिलों में दर्द भी काफी थे
टूट रही थी
बिखर रही थी
समेटने वाला कोई नहीं
बस अकेले ही लड़ रही थी
वजूद खुद का ही मिटा रही थी
आइने में देख घबरा रही थी
किसी से मैं क्या कहती
मैं खुद खामोश होते जा रही थी
वक़्त को कोश रही थी
दर - बेदर भटक रही थी
किसी की यादों में मैं मर भी रही थी
सपनो में जीना चाह रही थी
हकीकत से डर रही थी
रोशनी से वाक़िफ नहीं थी
दोस्ती गहरी अंधेरों से हो रही थी
अपने खूबियों से अंजान थी
बस खामियों को देख रही थी
वक़्त बहुत बुरा था
मैं खुदको भूलती ही जा रही थी
मैं खुद को भूलती ही जा रही थी।
आखिर वो वक़्त गुज़र ही गया
आखिर वो वक़्त गुज़र ही गया
अब देखो मैं फिर से उड़ चली हूं
सारे गीले शिकवे भुला कर
अब ज़िन्दगी जीने लगी हूं
बीते वक़्त को याद नहीं करती हूं
अब बस आने वाले कल को खुशियों से सजा रही हूं
क्यूंकि वो वक़्त ही तो था जो गुज़र गया
और मुझे फिर से जीना सिखा गया
आखिर वो मेरा वक़्त ही तो था जो गुज़र गया
आखिर वो मेरा वक़्त ही तो था जो गुज़र गया ।
